ज़िन्दगी के झमेलों में, 9 से 5 के खेलों में, आवाज़ महफूज़ है ख़ामोशी में | ख़ुशी जहाँ बंद है… Read more महफूज़
Category: Poetry (Hindi)
होंसला बुलंद
चोटें खाई, गिरे भी पर फिर उठ खड़े हुए क्यूंकि हार तो हमने भी नहीं मानी थी … लक्ष्य हासिल करना बाकी था, काफी दूर था पर हम चलते चले गए क्यूंकि हार तो हमने भी नहीं मानी थी … चलते चलते राहें भूल गए पर रास्ता बनाना सीख लिया क्यूंकि हार तो हमने भी नहीं मानी थी … नाम -ओ -निशान मिटने को था पर पत्थर पे लकीर बना ली थी क्यूंकि हार तो हमने भी नहीं मानी थी … खेल भी उनका खिलाड़ी भी उनके पर उन्ही को मात देदी क्यूंकि हार तो हमने भी नहीं मानी थी … ज़माने ने झुकने को कहा पर हमने उन्ही का सलाम लिया क्यूंकि हार तो हमने भी नहीं मानी थी … जीना भी बेईमानी बन गया था पर क्या करते हार तो हमने भी कहाँ मानी थी …
आज की आज़ादी
लहलहाती ज़मीन से जब सोंधी महक आती है यह जवानी देश पे मर मिट जाने को कह जाती है शूरवीर … Read more आज की आज़ादी